विजीलैंस ब्यूरो द्वारा ए. आई. जी., मालविन्दर सिंह सिद्धू और उसके दो साथियों के खि़लाफ़ जबरन वसूली, साजिशन धोखाधड़ी और रिश्वत लेने के दोष अधीन मुकदमा दर्ज
- By Vinod --
- Thursday, 02 Nov, 2023
Case registered against AIG, Malvinder Singh Sidhu and his two associates
Case registered against AIG, Malvinder Singh Sidhu and his two associates- चंडीगढ़I पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने मानवाधिकार सेल, पंजाब पुलिस के सहायक इंस्पेक्टर जनरल (ए. आई. जी.) मालविन्दर सिंह सिद्धू समेत आस्था होम, गिलको वैली, एस. ए. एस. नगर के निवासी और ख़ाद्य, सिविल सप्लाई और उपभोक्ता मामले विभाग के ड्राइवर कुलदीप सिंह समेत पटियाला जिले के गाँव आलमपुर के रहने वाले बलबीर सिंह को अपने पद का दुरुपयोग, सरकारी मुलाजिमों से धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, जबरन वसूली और रिश्वत लेने के दोष अधीन मामला दर्ज किया गया है।
यह प्रगटावा करते हुये राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि ए. आई. जी. सिद्धू सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायतें देने के बाद ब्लैकमेलिंग और नाजायज लाभ लेकर यह शिकायतें वापस ले लेते थे। उन्होंने बताया कि विजीलैंस जांच नंबर 15, तारीख़ 06- 10- 2023 के आधार पर विजीलैंस ब्यूरो ने सख़्त कानूनी कार्यवाही करते हुये उपरोक्त सभी मुलजिमों के विरुद्ध भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7 और 7 ए और भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 419, 420, और 120- बी के अंतर्गत 30 अक्तूबर, 2023 को थाना विजीलैंस ब्यूरो, फ्लायंग स्क्वाड- 1 पंजाब, मोहाली में मुकदमा नंबर 28 दर्ज किया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि तफ्तीश के दौरान यह सामने आया कि साल 2017 से मानवाधिकार सेल, पंजाब पुलिस के ए. आई. जी के तौर पर सेवा निभा रहे मालविन्दर सिंह सिद्धू ने पिछले पाँच सालों के दौरान कभी भी विजीलैंस ब्यूरो, पंजाब के अंदर ए. आई. जी. और आई. जी. के पदों पर काम नहीं किया। इस अधिकारी ने अपनी सरकारी गाड़ी आरटिगा ( पीबी 65 एडी 1905) का दुरुपयोग किया, जबकि तेल और अन्य खर्चे सरकारी खाते में से किये जाते रहे। उसने कभी भी इस वाहन का प्रयोग (लॉग बुक) का रिकार्ड नहीं रखा जो सरकारी जायदाद का दुरुपयोग को दर्शाता है।
इस के इलावा, जांच में ऐसी घटनाओं का पर्दाफाश हुआ जब ए. आई. जी. सिद्धू ने ब्लाक प्राइमरी शिक्षा अफ़सर, राजपुरा के दफ़्तर में काम करते एक डाटा आपरेटर के पास अपने आप को आई. जी., विजीलैंस ब्यूरो, पंजाब के तौर पर झूठी पहचान बतायी। सिद्धू ने इस धोखेबाज़ पहचान का प्रयोग करते हुये एक सरकारी अध्यापक की सर्विस बुक की फोटो कापी हासिल की और अपने मोबाइल फ़ोन के साथ उसके शुरुआती पन्नों की फोटो खींच ली।
इसी तरह ए. आई. जी. सिद्धू ने सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल घनौर के प्रिंसिपल को लिखित दरख़ास्त के इलावा स्कूल की ईमेल आई. डी. पर उपरोक्त दोषी कुलदीप सिंह के द्वारा एक और अर्ज़ी भेज कर स्कूल के एक अध्यापक का रिकार्ड प्राप्त किया। स्कूल में से लिए गए इन अध्यापकों के रिकार्ड की पड़ताल करने के लिए वह ज़िला सामाजिक कल्याण अधिकारी को साथ लेकर स्कूल पहुँचा और प्रिंसिपल से दो पन्नों के प्रोफार्मे पर दस्तखत करवाने की कोशिश की परन्तु प्रिंसिपल ने इस पर दस्तखत करने से इन्कार कर दिया।
उन्होंने आगे बताया कि पड़ताल के अधीन एक अन्य मामले में मालविन्दर सिंह सिद्धू ने उपरोक्त बलबीर सिंह के द्वारा सम्बन्धित अधिकारी की तरफ से ऐतराज़ करने के बावजूद गुरूहरसहाय ज़िला फ़िरोज़पुर में कृषि विभाग के एक ब्लाक अफ़सर का निजी रिकार्ड हासिल किया। इसके बाद उन्होंने जाली अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट रखने के लिए इस अधिकारी के खि़लाफ़ उसके विभाग में शिकायत दर्ज करवा दी। इस शिकायत को वापस लेने के बदले इस अधिकारी से तीन लाख रुपए की माँग की गई, जिसमें से डेढ़ लाख रुपए बलबीर सिंह और मालविन्दर सिंह सिद्धू ने गैर-कानूनी तरीके से प्राप्त किये थे। इसके बाद इस जांच को पूरा करने के लिए पीड़ित को उसके विभाग से और समय दिलाने के लिए उक्त बलबीर सिंह और मलविन्दर सिंह सिद्धू ने दो लाख रुपए की रिश्वत हासिल की।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि मालविन्दर सिंह सिद्धू ने अपने आप को विजीलैंस ब्यूरो का ए. आई. जी. / आई. जी. बताते हुये बलबीर सिंह के साथ मिलीभुगत करके अनुसूचित जाति और स्वतंत्रता सेनानियों के विभागों में कई व्यक्तियों का रिकार्ड हासिल किया, जिसके साथ बाद उनके विरुद्ध शिकायतें दर्ज करवा के उनको ब्लैकमेल करना और फिर इन शिकायतों को वापस लेने के बदले रिश्वत लेते रहे। उन्होंने कहा इस जांच की कठिन तफ्तीश के दौरान संभावना है कि इनके और साथी भी इस केस में फंस सकते हैं, जिसके बारे पूरी गहराई से जांच जारी है।